शहतूत का तुड़ाई उपरांत प्रबंधन

लेखक

  • पी.एस. गुर्जर भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीछवाल, बीकानेर (राजस्थान)
  • डी. के. सरोलिया भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीछवाल, बीकानेर (राजस्थान)
  • डी. के. सरोलिया भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीछवाल, बीकानेर (राजस्थान)
  • लोकेश कुमार भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीछवाल, बीकानेर (राजस्थान)
  • कमलेश कुमार भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीछवाल, बीकानेर (राजस्थान)
  • कमलेश कुमार भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीछवाल, बीकानेर (राजस्थान)

सार

शहतूत के फल खट्टे-मीठे, स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें प्रचुर मात्रा में फीनोलिक्स, फ्रलेवोनोइड्स, विटामिन तथा खनिज तत्व होते हैं। फल का तुड़ाई-उपरांत लघु जीवनकाल इसके ताजे फलों की ढुलाई तथा विपणन मुख्य चुनौतियां हैं। शहतूत में तुड़ाई-उपरांत जीवनकाल को बढ़ाने तथा सुरक्षित परिवहन के लिए फलों की उचित पैकेजिंग करना अति आवश्यक है। इसके फलों की भी स्ट्राॅबेरी की भांति पैकिंग करके शहरी क्षेत्रों की फलमंडी, खुदरा फल विक्रेता, शाॅपिंग माॅल इत्यादि में बेचा जा सकता है।

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प्रकाशित

2023-05-17

कैसे उद्धृत करें

गुर्जर प., सरोलिया ड. क., सरोलिया ड. क., कुमार ल., कुमार क., & कुमार क. (2023). शहतूत का तुड़ाई उपरांत प्रबंधन. फल फूल, 44(3), 44-45. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/352