मई-जून के बागवानी कार्य

लेखक

  • हरे कृष्ण भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधन संस्थान, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
  • अरविंद कुमार सिंह केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र, (केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान), वेजलपुर (गोध्रा), गुजरात

सार

भारत, विश्व के उन कुछ अद्वितीय देशों में से एक है, जहां एक वर्ष में 6 ऋतुएँ होती हैं और जो परस्पर पूर्ण रूप से असमान हैं। पृथ्वी के अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की दिशा में घूमने तथा सूर्य की परिक्रमा करने के परिणामस्वरूप बारह माह में छः बार ऋतु परिवर्तन होता है। इसी क्रम में ग्रीष्म ऋतु मई-जून (जेठ-आषाढ़) के महीनों में पड़ती है जिसका व्यापक प्रभाव कृषि कार्यों पर पड़ती है। इस द्विमाही के दौरान, 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति पड़ती है जोकि ग्रीष्म ऋतु का सबसे लंबा दिन होता है। इस समय सूर्य सीधे कर्क रेखा के ऊपर होता है। जून के अंत में मानसून आरंभ हो जाता है। इस ऋतु के दौरान देश के पूर्व-पश्चिमी तटीय मैदानी भागों में मानसून-पूर्व वर्षा भी होती है, जिसे ’मैंगों शावर’ भी कहा जाता है। यह वर्षा आम की फल वृद्धि के लिए लाभदायक होती है। इसी अवधि में उत्तर-पश्चिमी शुष्क क्षेत्रों में ’लू’ भी चलती है, जिससे छोटे पौधें अथवा नवस्थापित बागों को बचाना अति आवश्यक होता है।

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प्रकाशित

2023-05-17

कैसे उद्धृत करें

कृष्ण ह., & सिंह अ. क. (2023). मई-जून के बागवानी कार्य. फल फूल, 44(3), 51-56. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/355