ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती


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लेखक

  • राकेश कुमार
  • हरदेव राम
  • राजेश

सार

भारत एक कृषि प्रधान देश है व कुल सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 19.9 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों की आजीविका में कृषि का अहम महत्व है तथा 60-70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। वर्ष 1956-57 में दालों की उपलब्धता 72.30 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन थी। यह वर्ष 2020 में घटकर लगभग 47.90 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन हो गई है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है। शाकाहारी मनुष्य के भोजन में प्रोटीन की आपूर्ति का प्रमुख स्रोत दालें ही हैं। संतुलित भोजन में दाल के महत्व एवं वर्तमान में इनकी कम उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए दलहन उत्पादन को बढ़ावा देना समय की मांग है।

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प्रकाशित

2023-02-17

कैसे उद्धृत करें

कुमार र., राम ह., & राजेश. (2023). ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती. खेती, 75(10), 30–31. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/147