मृदा में फसलों का नियोजन


सार
बुंदेलखंड की प्रकृति ने अनेक प्रकार की मृदा व जलवायु और उन पर उगाई जा सकने वाली वनस्पतियां उपलब्ध करवाई हैं। किसी पफसल को ताप व आद्र्रता की आवश्यकता पड़ती है तथा विपरीत परिस्थितियों में उन पफसलों को उगाने पर उसकी मानक मात्रा और गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। बुंदेलखंड का भूक्षेत्रापफल उत्तर प्रदेश के कुल क्षेत्रापफल का 12.21 प्रतिशत है, जो जनपद झांसी, जालौन, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा एवं चित्राकूट जनपद तक पैफला है। यहां पाई जाने वाली लाल व काली मृदा में जैव पदार्थ, नाइट्रोजन व पफाॅस्पफोरस की कमी पाई जाती है। लाल मृदा प्रायः उथली होने के साथ कम जलधारण क्षमता वाली होती है। इस कारण अवशेष नमी पर रबी की पफसलों का लेना संभव नहीं होता है। इसमें पपड़ी बहुत पड़ती है तथा सूखने पर बहुत कठोर हो जाती है। इसके कारण बीजों का उगना कठिन हो जाता है।
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