पशुओं में खाद्य विषाक्तता


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लेखक

  • राजेश कुमार कृषि विज्ञान केन्द्र, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद-।। (उत्तर प्रदेश)
  • रविंद्र कुमार कृषि विज्ञान केन्द्र, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद-।। (उत्तर प्रदेश)
  • दीपक कुमार कृषि विज्ञान केन्द्र, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद-।। (उत्तर प्रदेश)
  • निरंजन सिंह कृषि विज्ञान केन्द्र, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद-।। (उत्तर प्रदेश)

सार

पशुपालन व्यवसाय में आहार पर सर्वाधिक व्यय होने के कारण संतुलित आहार का विशेष महत्व है। हरे चारे से न्यूनतम दर पर पोषक तत्वों की आपूर्ति के कारण इन्हें सर्वोत्तम पशु आहार माना गया है। अकाल की स्थिति होने के कारण इनकी उपलब्धता अत्यंत कम हो जाती है। चारे की पफसलों की बुआई के उपरांत पानी के अभाव के कारण पफसलों की बृद्धि रुक जाती है एवं चारा मुर्झाकर सूखने लगता है। इसके कारण अविकसित एवं मुर्झाये हुये चारे में विषाक्त तत्व उत्पन्न हो जाते हैं, जिनके सेवन से पशुओं में खाद्यजन्य विषाक्तता हो जाती है।

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प्रकाशित

2023-05-12

कैसे उद्धृत करें

कुमार र., कुमार र., कुमार द., & सिंह न. (2023). पशुओं में खाद्य विषाक्तता. खेती, 75(12), 35–37. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/299