मसूर के उकठा रोग का समेकित प्रबंधन


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लेखक

  • संजीव कुमार बिहार कृषि विश्वविद्यालय, साबारे, भागलपुर-813210 (बिहार)
  • रमेश नाथ गुप्ता बिहार कृषि विश्वविद्यालय, साबारे , भागलपुर-813210 (बिहार)
  • चंद्रशेखर आजाद बिहार कृषि विश्वविद्यालय, साबारे , भागलपुर-813210 (बिहार)
  • राकेश कुमार बिहार कृषि विश्वविद्यालय, साबारे , भागलपुर-813210 (बिहार)
  • हंसराज हंस बिहार कृषि विश्वविद्यालय, साबारे , भागलपुर-813210 (बिहार)

सार

दलहनी फसल मसूर, प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण आहार स्रोत है। मसूर की फसल को जैविक और अजैविक कारकों द्वारा कई प्रकार के रोगों से हानि होती है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण और विनाशकारी मृदाजनित रोग फ्रयूजेरियम उकठा है। इसमें किसानों के खेतों में उपज का 50 प्रतिशत तक नुकसान होता है। यह रोग 22-25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पनपता है और मसूर के अंकुरण एवं वानस्पतिक या फसल के प्रजनन चरणों को प्रभावित करता है। समन्वित रोग प्रबंधन जिसमें प्रतिरोधी/आंशिक प्रतिरोधी किस्मों, बुआई के समय का समायोजन, जैव-नियंत्राण और रासायनिक बीज उपचार आदि शामिल हैं, जैसी विधियों को अपनाकर इस रोग के नुकसान को कम किया जा सकता है।

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प्रकाशित

2023-05-16

कैसे उद्धृत करें

कुमार स., गुप्ता र. न., आजाद च., कुमार र., & हंस ह. (2023). मसूर के उकठा रोग का समेकित प्रबंधन. खेती, 76(1), 4–5. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/310

अंक

खंड

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