दलहनी फसलों में संसाधन संरक्षण


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लेखक

  • शालिनी कृषि विज्ञान केंद्र, हमीरपुर प्रसार निदेशालय, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा
  • पीयूष जयसवाल कृषि विज्ञान केंद्र, हमीरपुर प्रसार निदेशालय, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा
  • एस.पी. सोनकर कृषि विज्ञान केंद्र, हमीरपुर प्रसार निदेशालय, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा

सार

दलहनी फसलें अधिक प्रोटीन ;21 से 25 प्रतिशतद्ध तथा जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण के कारण खाद्य उत्पादन प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। भारत में दलहनी फसलों की खेती लगभग 28.34 मिलियन हैक्टर क्षेत्राफल में की जाती है। इसमें लगभग 23.15 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन (वर्ष 2019-20) होता है। दलहनी फसलों में प्रमुख योगदान होने के बाद भी भारत में दालों की उत्पादकता, अन्य देशों की तुलना में कम है। उपयुक्त नमी की कमी, असमय बुआई, अनुचित बुआई की विधियां, असंतुलित उर्वरक और खरपतवार नियंत्राण आदि ऐसे प्रमुख कारण हैं, जो दलहनी फसलों के कम उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं।

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प्रकाशित

2023-05-16

कैसे उद्धृत करें

शालिनी, जयसवाल प., & सोनकर ए. (2023). दलहनी फसलों में संसाधन संरक्षण. खेती, 76(1), 6–8. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/311

अंक

खंड

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