बुन्देलखंड में चने की उन्नत खेती

लेखक

  • रामकुमार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-221005 (उत्तर प्रदेश)
  • विनय कुमार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-221005 (उत्तर प्रदेश)
  • विवेक कुमार सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
  • उदयभान निषाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-221005 (उत्तर प्रदेश)
  • राम केवल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-221005 (उत्तर प्रदेश)

सार

बुन्देलखंड भारत का प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रा है। बुन्देलखंड क्षेत्रा में 13 जिले शामिल हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के 7 जिले और मध्य प्रदेश के 6 जिले शामिल हैं। इस क्षेत्रा में मुख्यतः
चना, मटर और मसूर रबीे मौसम में और मूंग और उड़द खरीफ मौसम में उगायी जाती हैं। चना लेग्यूमिनेसी कुल का सदस्य है। गेहूं के पश्चात रबी में उगाई जाने वाली दूसरी महत्वपूर्ण फसल है। यह समस्त भारत की मुख्य दलहनी फसल है। चने के पौधे में नीले अथवा लाल रंग के फूल आते हैं। इसकी जड़ें मूसला होती हैं, जोकि मृदा में काफी गहरी जाती हैं। चना एक पौष्टिक आहार है। इसके बीज को कच्ची अवस्था में सब्जी के रूप में और पकी अवस्था में दाल के रूप में उपयोग करते हैं। इसमें 21 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। चने की जड़ों में एक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो बदले में वायुमंडल की नाइट्रोजन को अवशोषित करके मृदा में एकत्रा करता है। इसलिए दलहनी फसलों में नाइट्रोजन की कम आवश्यकता होती है।

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प्रकाशित

2023-05-16

अंक

खंड

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कैसे उद्धृत करें

रामकुमार, कुमार व., कुमार व., निषाद उ., & केवल र. (2023). बुन्देलखंड में चने की उन्नत खेती. खेती, 76(1), 13-14. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/313