दलहन आधारित उद्यमिता की संभावनाएं


सार
‘उद्यमी’ से आशय ऐसे प्रतिभावान एवं दूरदृष्टा व्यक्ति से है. जो व्यवसाय के अवसरों को समझते हैं तथा उन्हें अपनाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसी क्रम में विभिन्न कार्यक्रमों और प्रशिक्षण के माध्यम से उद्यमी में वित्तीय, विपणन एवं प्रबंधकीय विशेषज्ञता तथा उद्यमशीलता ज्ञान और कौशल को बढ़ाना ही उद्यमिता विकास कहलाता है। कृषि उद्यमिता सामान्यतः टिकाऊ, समुदाय तथा प्रणाली उन्मुख दृष्टिकोण को दर्शाती है। दालों की बढ़ती मांगों, अवसरों और चुनौतियों के कारण युवाओं/किसानों को उद्यमी बनने के अवसर देती है। युवाओं के लिए विशेषज्ञता, उद्यम विविधीकरण, उत्पाद विकास, नवाचार प्रक्रिया और ऊध्र्वाधर एकीकरण आदि उद्यमशीलता के विकल्प दलहन से संबंधित व्यवसाय में नियोजित किए जाने चाहिए।
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