कड़कनाथ मुर्गीपालन से आय


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लेखक

  • ब्रजकिशोर प्रजापति कृषि विज्ञान केन्द्र, शहडोल (मध्य प्रदेश)
  • मृगेंद्र सिंह कृषि विज्ञान केन्द्र, शहडोल (मध्य प्रदेश)
  • अल्पना शर्मा कृषि विज्ञान केन्द्र, शहडोल (मध्य प्रदेश)
  • दीपक चैहान कृषि विज्ञान केन्द्र, शहडोल (मध्य प्रदेश)
  • भागवत प्रसाद पंड कृषि विज्ञान केन्द्र, शहडोल (मध्य प्रदेश)

सार

भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका का प्रबंध करने में विश्वास रखता है। वर्तमान समय में एक तरफ बढ़ती हुई आबादी को पोषणयुक्त आहार की कमी एवं दूसरी तरपफ जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों को कम उपज, आय एवं रोजगार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अतः कृषकों को समृद्धि एवं खुशहाली लाने के लिए समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाना होगा। कृषि से संबंधित उद्यमों जैसे-मछली पालन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, केंचुआ खाद उत्पादन, मुर्गी पालन एवं जापानी बटेर पालन को कृषि में समायोजित कर आय दोगुनी की जा सकती है। इन्हीं उद्यमों में कड़कनाथ पालन भी एक है। वर्तमान परिस्थिति एवं बाजार आकलन के आधार पर आने वाले समय में कड़कनाथ की बाजार मांग अत्यधिक बढ़ने की संभावना है। शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए कड़कनाथ पालन में रोजगार की अपार मौके निहित हैं। पढ़े-लिखे नौजवानों एवं सेवानिवृत्त कर्मियों की रुचि कड़कनाथ पालन में बढ़ने से व्यावसायिक एवं एकीकृत कड़कनाथ पालन के माॅडल भी विकसित हो रहे हैं। प्रस्तुत लेख में ऐसे ही एक कड़कनाथ पालक किसान की सपफलता की कहानी है। अन्य किसान भी इनसे प्रेरणा लेकर स्वावलंबी बन सकते हैं।

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प्रकाशित

2023-05-16

कैसे उद्धृत करें

प्रजापति ब., सिंह म., शर्मा अ., चैहान द., & पंड भ. प. (2023). कड़कनाथ मुर्गीपालन से आय. खेती, 76(1), 35–36. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/321

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