महिलाओं द्वारा प्राकृतिक जल संसाधन प्रबंधन


सार
ग्रामीण भारत का विकास महिलाओं के सशक्तिकरण से ही संभव है और यह महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में ला सकता है। महिला सशक्तिकरण समाज और पूरे देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। वैश्वीकरण के दबाव से विकासात्मक परियोजनाओं का उद्देश्य आजीविका में सुधार एवं पहाड़ी और दूरदराज के स्थानों में बाजार पहुंच में वृद्धि करना है। नतीजतन, ग्रामीण विकास कार्य प्राकृतिक परिदृश्य को बदल सकते हैं। आजीविका बदलाव से जुड़े भूमि उपयोग परिवर्तन, पारिस्थितिक तंत्रा और ग्रामीण समुदाय की भलाई के लिए आवश्यक सामान और सेवाएं प्रदान करने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं। भारत में ग्रामीण महिलाएं और उनकी आजीविका अक्सर उनके प्राकृतिक संसाधनों जैसे-भूमि, जल और जंगल में परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होती है। इन संसाधनों का ज्यादा प्रयोग महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस शोध कार्य में, महिलाओं में अपने पर्यावरण के स्थानीय ज्ञान के कारण पानी के झरनों के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें से कई सूख गए हैं। उन्होंने जल संसाधनों के प्रबंधन में वनस्पति के महत्व को भी रेखांकित किया। इस अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं ने पर्यावरण के अपने स्थानीय ज्ञान और सामाजिक तंत्रा के आधार पर अपने जल प्रबंधन को अनुकूलित किया। इन परिणामों ने संकेत दिया कि
महिलाओं का स्थानीय ज्ञान, विकास संबंधी परियोजनाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह महिलाओं को मौसम में अचानक परिवर्तनों के अनुरूप ढालने में भी मदद करता है।
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