महुआ का महत्व


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लेखक

  • विष्णु के. सोलंकी कृषि काॅलेज, जबलपुर, जेएनकेवीवी (मध्य प्रदेश)
  • वनीता परते कृषि काॅलेज, जबलपुर, जेएनकेवीवी (मध्य प्रदेश)
  • आर. बाजपेयी कृषि काॅलेज, जबलपुर, जेएनकेवीवी (मध्य प्रदेश)

सार

मध्य प्रदेश में पाए जाने वाले वृक्षों में महुआ एक बहुत ही उपयोगी वृक्ष है। यह शराब के लिए लोकप्रिय है। यह इसके फूलों से तैयार की जाती है। जब महुआ पर फूल आने शुरू होते हैं, तो पूरा जंगल इसकी मादक खुशबू से महक जाता है। यह एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष है, जो उत्तर भारत में मिलता है। यह मैदानी इलाकों एवं जंगलों में भी पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मधुका लांगीपफोलिया है एवं यह सपोटेसी फैमिली में आता है। इसे बटर-ट्री के नाम से भी जाना जाता है। महुआ बहुत धीमी गति से बढ़ता है और मुश्किल से लगता भी है, जब एक बार लग जाता है, तो लंबे समय तक जीवित रहता है। यह एक पर्णपाती आरै अच्छी ऊंर्चाइ वाला वृक्ष है। जब इसकी पत्तियां तोड़ते है, तो इसमें से एक दूध जैसा स्राव निकलता है। यह एक पर्णपाती वृक्ष है और इसलिए इसकी पत्तियां फरवरी से अप्रैल में झड़ जाती हैं। इसके बाद इसमें नई पत्तियां आती हैं, जो कि गुलाबी रंग की होती हैं। इसके फूल सफेदी लिए हुए रसयुक्त एवं मीठे होते हैं।

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प्रकाशित

2023-05-16

कैसे उद्धृत करें

सोलंकी व. क., परते व., & बाजपेयी आ. (2023). महुआ का महत्व. खेती, 76(1), 47. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/326

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