प्राकृतिक खेती से स्वावलंबन


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लेखक

  • दीपक राय भाकृअनपु -भारतीय गन्ना अनुसन्धान संसथान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
  • ए.के. दुबे भाकृअनपु -भारतीय गन्ना अनुसन्धान संसथान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
  • ए.डी. पाठक भाकृअनपु -भारतीय गन्ना अनुसन्धान संसथान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

सार

श्री गिरजा शंकर मौर्य, ग्राम भदेसरमऊ ब्लाॅक-मलिहाबाद के निवास के पास 3 एकड़ (फसलों के लिए 2 एकड़ और आम के बागों के लिए 1 एकड़) कृषि भूमि है। खेती इनका पैतृक व्यवसाय है। अतः कृषि और पशुपालन से लगाव बचपन से रहा है। वह पहले परंपरागत खेती करते थे, परंतु इन्हें बेरोजगारी, पारंपरिक कृषि से अनुपयुक्त लाभ एवं खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में कमी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इसके निदान के लिए इनके द्वारा कुछ प्रयास किये गये परंतु आशातीत सफलता नहीं मिली। इसी क्रम में दिसंबर, 2017 में लोक भारती संस्था द्वारा बाबा भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ में प्राकृतिक खेती विषय पर 7 दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई, जिसमें इन्होंने भाग लिया। इसके बाद इस विधा को अपने प्रक्षेत्रा पर उतारने का संकल्प लिया।

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प्रकाशित

2023-05-16

कैसे उद्धृत करें

राय द., दुबे ए., & पाठक ए. (2023). प्राकृतिक खेती से स्वावलंबन. खेती, 76(1), 53–54. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/329

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