जैविक खेती से गेहूं का उत्पादन
सार
गेहूं विश्वव्यापी फसल है। यह विभिन्न प्रकार के वातावरण में उगाई जाती है। भारत में ड्यूरम (मेकरोनी) गेहूं (ट्रिटिकम ड्यूरम) की खेती लगभग 20 लाख हैक्टर में होती है। चपाती गेहूं (ट्रिटिकम एस्टिवम) की खेती कुल गेहूं के क्षेत्रफल में से 90 प्रतिशत क्षेत्रा में होती है। ड्यूरम गेहूं, अन्य गेहूं की प्रजातियों की अपेक्षा वातावरण के प्रति सहिष्णु होता है। इसका दाना अंबर रंग का तथा अन्य गेहूं की प्रजातियों से आकार में बड़ा होता है। दाने की उच्च सघनता तथा ग्लूटिन के साथ-साथ अधिक प्रोटीन की मात्रा के कारण ड्यूरम गेहूं पास्ता बनाने के लिए आदर्श माना जाता है। जैविक पद्धति से उगाये गये गेहूं का अधिक मूल्य मिलता है। इसके साथ ही इसके निर्यात की अधिक संभावनाएं भी हैं। भारत में मुख्य रूप से ट्रिटिकम की तीन किस्में जैसे-ऐस्टिवम ड्यूरम एवं ऐस्टिवम डाइकोकम की खेती की जाती है। ट्रिटिकम ऐस्टिवम की खेती देश के सभी क्षेत्रों में की जाती है, जबकि ऐस्टिवम डाइकोकम की खेती कर्नाटक में
की जाती है।
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