संरक्षण कृषि है सतत विकास का विकल्प
सार
संरक्षण कृषि में उपयोग हो रहा शब्द ‘संरक्षण’ स्वयं ही इस खेती की विशेषता को दर्शाता है। संरक्षण कृषि के जरिए मृदा की नमी और गुणवत्ता के साथ-साथ, मृदा में पाए जाने वाले उपयोगी सूक्ष्मजीव आदि का संरक्षण होता है। ये प्रत्यक्ष रूप से फसल की उपज और गुणवत्ता में वृद्धि के लिए सहायक होते हैं। इस पद्धति का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक खेती से हो रहे नकारात्मक प्रभावों जैसे-मृदा अपरदन, मृदा की भौतिक अवनति, जैविक पदार्थ क्षरण, ईंधन खपत आदि को कम करना है।
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