डेरी फार्म में रिकॉर्ड रखने का महत्व

लेखक

  • हिमांशु राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
  • इंदु देवी राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
  • एन.पी. सिंह राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
  • ए.पी. रूहिल राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
  • एस.वी.एन. राव राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल

सार

पिछले कई वर्षों से भारत विश्व का अग्रणी दुग्ध उत्पादक देश है। खाद्य और कृषि संगठन काॅर्पोरेट सांख्यिकीय डेटाबेस (एपफएओएस) के अनुसार भारत का कुल दूध उत्पादन वर्ष 2020-2021 के दौरान 194.8 मिलियन टन रहा, जो वैश्विक उत्पादन का 21.5 प्रतिशत है। इसके बावजूद हमारी गायों की उत्पादकता बहुत कम है। भारत में औसतन एक गाय एक वर्ष में लगभग 1777 कि.ग्रा. दूध देती है, जबकि एपफएओ की वर्ष 2019 की सांख्यिकी के अनुसार एक वर्ष में गाय के दूध उत्पादन का विश्व औसत लगभग 2699 कि.ग्रा. था। गायों की दूध की कम उत्पादन क्षमता पर्यावरण प्रबंधन, पोषण स्वास्थ्य आदि जैसे कई कारकों के कारण है। भारत सरकार ने दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य और आनुवंशिक क्षमता में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएं चलाईं, लेकिन प्रति गाय दूध की उत्पादन क्षमता में अपेक्षित स्तर तक बृद्धि नहीं हो सकी। किसान/ग्राम स्तर पर प्रत्येक गाय की कार्यक्षमता आंकड़ों की अनुपलब्धता को कम दूध उत्पादन क्षमता के कारकों में से एक कारक के रूप में पहचाना गया है। एक सपफल डेरी किसान बनने के लिए डेरी पफार्म के अभिलेखन को बनाए रखना आवश्यक है। दुनियाभर के विशेषज्ञों ने भी पशु उत्पादकता बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से पशुओं की कार्य क्षमता आंकड़ों के अभिलेखन पर बल दिया है। यह बताया गया है कि जिन देशों ने योजनाबद्ध तरीके से कार्य क्षमता आंकड़ों का अभिलेखन किया गया, उन्होंने 25 वर्षों में पशुओं की उत्पादकता को सपफलतापूर्वक दोगुना कर दिया। एक डेरी किसान के रूप में यह महत्वपूर्ण है कि वह एक अच्छा प्रदर्शन करने वाली गाय को बनाए रखे और निर्बल प्रदर्शन करने वाली गाय को निकाल दें। यह तभी संभव है जब गायों का रिकाॅर्ड उपलब्ध हो। बेहतर झुंड को विकसित करने के लिए अधिक उत्पादन क्षमता वाले पशुओं के चयन में ठोस निर्णय लेने हेतु वंशावली ‘उत्पादन’ प्रजनन स्वास्थ्य आदि का रिकाॅर्ड रखना आवश्यक है।

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प्रकाशित

2022-11-25

कैसे उद्धृत करें

हिमांशु, देवी इ., सिंह ए., रूहिल ए., & राव ए. (2022). डेरी फार्म में रिकॉर्ड रखने का महत्व. खेती, 75(7), 45-47. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/48