बढ़ाएं टमाटर की उत्पादकता


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लेखक

  • ए. सी. राठौर भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड
  • देवीदीन यादव भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड
  • चरण सिंह भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड
  • आनंद कुमार गुप्ता भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड
  • एम. मध् भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड

सार

भारत सालाना लगभग 19 मिलियन टन टमाटर उत्पादन करता है, जो लगातार बढ़ती टमाटर की मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। भारत और संयुत्तफ राज्य अमेरिका के बीच टमाटर उत्पादकता का एक बड़ा अंतर है। टमाटर की उत्पादकता को एकीकृत माध्यम में शाखाओं की उचित तरीके से कटाई-छंटाई, पौधें को तार के जाल या लकड़ी के डंडों के सहारे विकसित करके, तरल उर्वरकों का उचित मात्रा में प्रयोग तथा मल्चिंग तकनीक से बढ़ाया जा सकता है। इस एकीकृत तकनीक के माध्यम से टमाटर की अच्छी उपज के साथ उच्च फल गुणवत्ता भी प्राप्त की जा सकती है।

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प्रकाशित

2023-05-17

कैसे उद्धृत करें

राठौर ए. स., यादव द., सिंह च., गुप्ता आ. क., & मध् ए. (2023). बढ़ाएं टमाटर की उत्पादकता. फल फूल, 44(3), 32–33. Retrieved from https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/347