मेंथा से आय बढ़ायें

लेखक

  • श्रीमन कुमार पटेल रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल
  • संजय कुमार बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर
  • मनोज कुमार नव जीवन किसान पीजी कालेज मवाना, मेरठ
  • दिग्विजय दुबे रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल
  • श्यामवीर सिंह नव जीवन किसान पीजी कालेज मवाना, मेरठ

सार

भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली कृषि से वर्तमान समय में युवाओं का रुझान घटता जा रहा है। कृषि के आज भी परंपरागत होने के कारण आबादी का एक बड़ा भाग गाँव से शहर की तरफ पलायन कर रहा है। इसका मुख्य कारण है कि लागत के अनुपात में लाभ की प्राप्ति का न होना। मौजूदा समय में परंपरागत खेती को छोड़कर बाजार की मांग के अनुसार फसल उत्पादन करने का समय है। इस प्रकार नए कृषि उत्पादों का उत्पादन कर किसान अपनी खेती से अध्कि से अधिक मुनाफा ले सकते हैं। इस समस्या के समाधन के लिए मेंथा की खेती ऐसा ही एक बेहतरीन विकल्प है। इसकी खेती से किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। मेंथा की एक यह भी विशेषता है कि जहाँ आवारा पशुओं जैसे नीलगाय, जंगली पशु आदि से फसल को नुकसान होता है, मेंथा में इसका भी भय नहीं रहता है। इसकी पत्ती में कड़वाहट होने के कारण कोई पशु इसे नहीं खाता है। मेंथा की एक हैक्टर खेती से
लगभग अस्सी हजार से एक लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है।

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प्रकाशित

2023-07-05

कैसे उद्धृत करें

पटेल श. क., कुमार स., कुमार म., दुबे द., & सिंह श. (2023). मेंथा से आय बढ़ायें. फल फूल, 44(4), 35-36. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/497