गन्ने में लाल सड़न रोग
सार
गन्ना, विश्व की एक महत्वपूर्ण कृषि औद्योगिक पफसल है। भारत शर्करा तथा जैविक इथेनाॅल उत्पादन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह एक प्रमुख नकदी पफसल है। इसकी
खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। भारत के अधिकांश राज्यों में इसकी खेती लगभग 5 मिलियन हैक्टर के कुल क्षेत्रापफल में की जाती है। गन्ना
कपास के बाद भारत में दूसरे स्थान पर आता है। गन्ने की जड़ से लेकर ऊपरी भाग तक में लाल सड़न (रेड राॅट) रोग का प्रकोप रहता है। इसकी पहचान यह है कि गन्ने की
पत्तियां पीली हो जाती हैं और उस पर लाल रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। खेत से संक्रमित गन्ने को काटकर बीच से दो पफाड़कर अवलोकन करने पर अगर गन्ने का गूदा लाल रंग
का दिखाई दे और उसमें से सिरके की तरह गंध आ रही हो, तो ऐसा माना जाता है कि खेत में इसका प्रकोप है। लाल सड़न रोग एक कवकजनित रोग है, जो गन्ने के तने के
ऊतकों को संक्रमित करता है। अतः यह रोग गन्ने की उपज और गुणवत्ता में कमी का गंभीर कारण माना जाता है, जिसे ‘गन्ने का कैंसर’ भी कहा जाता है।
Downloads
##submission.downloads##
प्रकाशित
अंक
खंड
अनुज्ञप्ति
Copyright (c) 2023 खेती
यह काम Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License के तहत लाइसेंस प्राप्त है.
खेती में प्रकाशित लेखों का कॉपीराइट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पास निहित है, जिसे भारत या विदेश में किसी भी संगठन के साथ किसी भी समझौते में प्रवेश करने का अधिकार है, जो रिप्रोग्राफी, फोटोकॉपी, भंडारण और सूचना के प्रसार में शामिल है। इन पत्रिकाओं में सामग्री का उपयोग करने में परिषद को कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते जानकारी का उपयोग अकादमिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो, लेकिन व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं। आईसीएआर को देय क्रेडिट लाइन दी जानी चाहिए जहां सूचना का उपयोग किया जाएगा।