गन्ने में लाल सड़न रोग

लेखक

  • राघवेन्द्र कुमार भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
  • आंचल सिंह भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
  • संगीता श्रीवास्तव भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

सार

गन्ना, विश्व की एक महत्वपूर्ण कृषि औद्योगिक पफसल है। भारत शर्करा तथा जैविक इथेनाॅल उत्पादन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह एक प्रमुख नकदी पफसल है। इसकी
खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। भारत के अधिकांश राज्यों में इसकी खेती लगभग 5 मिलियन हैक्टर के कुल क्षेत्रापफल में की जाती है। गन्ना
कपास के बाद भारत में दूसरे स्थान पर आता है। गन्ने की जड़ से लेकर ऊपरी भाग तक में लाल सड़न (रेड राॅट) रोग का प्रकोप रहता है। इसकी पहचान यह है कि गन्ने की
पत्तियां पीली हो जाती हैं और उस पर लाल रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। खेत से संक्रमित गन्ने को काटकर बीच से दो पफाड़कर अवलोकन करने पर अगर गन्ने का गूदा लाल रंग
का दिखाई दे और उसमें से सिरके की तरह गंध आ रही हो, तो ऐसा माना जाता है कि खेत में इसका प्रकोप है। लाल सड़न रोग एक कवकजनित रोग है, जो गन्ने के तने के
ऊतकों को संक्रमित करता है। अतः यह रोग गन्ने की उपज और गुणवत्ता में कमी का गंभीर कारण माना जाता है, जिसे ‘गन्ने का कैंसर’ भी कहा जाता है।

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प्रकाशित

2023-06-27

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कैसे उद्धृत करें

कुमार र., सिंह आ., & श्रीवास्तव स. (2023). गन्ने में लाल सड़न रोग. खेती, 76(2), 6-7. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/427