जैविक खेती का महत्व व प्रमाणीकरण

लेखक

  • प्रकाश चंदघासल भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)
  • चंद्र भानु भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)
  • जयराम चैधरी भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)
  • कमलेश कुमार भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)
  • अमृत लाल मीणा भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)
  • टी.पी. स्वर्णम भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)
  • विजय पूनिया भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)
  • सुनील कुमार भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ-250110 (उत्तर प्रदेश)

सार

     

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प्रकाशित

2024-03-28

कैसे उद्धृत करें

प्रकाश चंदघासल, चंद्र भानु, जयराम चैधरी, कमलेश कुमार, अमृत लाल मीणा, टी.पी. स्वर्णम, विजय पूनिया, & सुनील कुमार. (2024). जैविक खेती का महत्व व प्रमाणीकरण. खेती, 76(8), 49-51. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/950