पपीते का अर्क, कोरोना में उपयोगी

लेखक

  • निशा मलिक स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्व विद्यालय, मेरठ
  • देवेन्द्र कुमार स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्व विद्यालय, मेरठ

सार

पपीता विश्व के उष्ण कटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अध्कि उगाई जाने वाली एवं आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण फल की फसल है। पपीते की खेती दुनिया के लगभग 71 देशों में की जाती है, जिसमें क्षेत्राफल, उपज और उत्पादन की दृष्टि से भारत प्रमुख पपीता उत्पादक देश है। इसे आमतौर पर पपीता, पपाव, पपाऊ, कापाया, लपाया, तपाया, पपीता, पफैनमुगुआ, अरंड-खरबूजा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। पपीते को सदियों से इसके अनोखे स्वाद और बनावट के लिए पसंद किया जाता रहा है। पपीते के फल और इसकी पत्तियों के अर्क का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में भी पपीते के अर्क का उल्लेख है, कि यह प्रतिरोध्क क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ कई रोगों के इलाज में भी सहायक है। पफाइटोकैमिकल्स, आयरन, पफोलेट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी, बी1, बी3, बी5, बी6, ई, के और पोटेशियम तत्व के समृद्ध स्रोत होने के कारण यह एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, कैंसररोधी आदि जैसे गुणों से भरपूर है। इसके अलावा, पपीते का अर्क डेंगू बुखार के इलाज में भी सबसे अध्कि इस्तेमाल किए जाने वाले प्रभावी उपचारों में से एक है।

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प्रकाशित

2023-01-10

कैसे उद्धृत करें

मलिक न., & कुमार द. (2023). पपीते का अर्क, कोरोना में उपयोगी. फल फूल, 44(1), 9-10. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/111