शून्य जुताई विधि से फलोत्पादन

लेखक

  • प्राणनाथ बर्मन भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ-226101
  • एस. के. शुक्ल भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ-226101
  • दुष्यंत मिश्र भाकृअनुप-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ-226101

सार

किसान पफलों के बाग में पारंपरिक जुताई का अभ्यास करते हैं जिसका कार्बनिक पदार्थों की मात्रा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप पोषक तत्वों के भंडार में कमी के अलावा मिट्टी की संरचना का ह्रास होता है। बाग की मिट्टी की लंबे समय तक यांत्रिक खेती से वृक्ष की वृद्धि तथा उपज पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा वृक्षों की पंक्तियों के बीच यांत्रिक उपकरणों के पहुंच से पौधे को चोट लगती है। इससे विशेष रूप से इनकी जड़ों, तने के निचले हिस्सों एवं परिधीय शाखाओं पर आघात पहुंचता है। पारंपरिक जुताई से मिट्टी का क्षरण होता है। भूमि प्रबंध्न प्रणाली के अध्ययन में मिट्टी के रासायनिक, जैविक और भौतिक गुणों के साथ-साथ जड़ क्षेत्रा के सूक्ष्मजीवीय समुदायों और पेड़ की जड़ के विकास पर अलग-अलग प्रभाव देखा गया है। पेड़ों के पफल उत्पादन में, बगीचे में सतह प्रबंध्न प्रणालियों का उद्देश्य इनके विकास के लिए सर्वाेत्तम परिवेश तैयार करना है, जिससे
वृक्षों का बेहतरीन प्रदर्शन हो सके।

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प्रकाशित

2024-06-25

कैसे उद्धृत करें

प्राणनाथ बर्मन, एस. के. शुक्ल, & दुष्यंत मिश्र. (2024). शून्य जुताई विधि से फलोत्पादन. फल फूल, 45(3), 8-9. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/1173