फालसा की वैज्ञानिक खेती

लेखक

  • राज कुमार भाकृअनुसं-कृषि विज्ञान केन्द्र-पंचमहल (केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान), गोध्रा-बड़ौदा हाइवे, वेजलपुर, गुजरात-389340
  • शत्ति खजुरिया भाकृअनुसं-कृषि विज्ञान केन्द्र-पंचमहल (केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान), गोध्रा-बड़ौदा हाइवे, वेजलपुर, गुजरात-389340
  • कनक लता भाकृअनुसं-कृषि विज्ञान केन्द्र-पंचमहल (केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान), गोध्रा-बड़ौदा हाइवे, वेजलपुर, गुजरात-389340
  • ए.के. सिंह भाकृअनुसं-कृषि विज्ञान केन्द्र-पंचमहल (केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान), गोध्रा-बड़ौदा हाइवे, वेजलपुर, गुजरात-389340
  • ए.के. राय केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र, वेजलपुर

सार

पफालसा (ग्रेविया सबिनाएक्वालिस) एक छोटे फल वाला पौध है, जो टिलियासी परिवार का सदस्य है। इसके फलों की भंडारण क्षमता बहुत कम होती है। अतः इसका विपणन स्थानीय बाजारों में जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। इसे मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, थाईलैंड और पिफलीपींस में उगाया जाता है। भारत में फालसा की खेती उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में व्यावसायिक तौर पर की जाती है। प्रमुख फालसा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश है।

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प्रकाशित

2024-06-25

कैसे उद्धृत करें

राज कुमार, शत्ति खजुरिया, कनक लता, ए.के. सिंह, & ए.के. राय. (2024). फालसा की वैज्ञानिक खेती. फल फूल, 45(3), 20-21. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/1178