मई-जून में बागों के कार्यकलाप

लेखक

  • हरे कृष्ण भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधन संस्थान, वाराणसी
  • अरविंद कुमार सिंह केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र, (केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान), वेजलपुर (गोधरा), गुजरात
  • नृपेन्द्र विक्रम सिंह भाकृअनुप- भारतीय कृषि अनुसंधन संस्थान, पूसा कैंपस, नयी दिल्ली
  • मंजूनाथ टी. गौड़ा भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधन संस्थान, वाराणसी
  • शुभम कुमार तिवारी भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधन संस्थान, वाराणसी

सार

भारत में ग्रीष्म ऋतु मई-जून (जेठ-आषाढ़) के महीनों में पड़ती है इसका व्यापक प्रभाव कृषि कार्यों पर पड़ता है। इस द्विमाही के दौरान दिनांक 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति आती है। यह ग्रीष्म ऋतु का सबसे लंबा दिन होता है। इस समय सूर्य सीधे कर्क रेखा के ऊपर होता है। जून के अंत में मानसून आरंभ हो जाता है। इस ऋतु के दौरान देश के पूर्व-पश्चिमी तटीय मैदानी भागों में मानसून-पूर्व वर्षा भी होती है, जिसे ‘मैंगो शावर’ भी कहा जाता है। यह वर्षा आम पफल वृद्धि के लिए लाभदायक होती है। इसके अतिरिक्त, पश्चिम बंगाल, असोम, झारखड, बिहार में तेज हवाओं और गरज के साथ भारी वर्षा होना सामान्य घटना है, जिसे ‘काल बैसाखी’ कहा जाता है। यह वर्षा आम और लीची के फसल के लिए फायदेमंद होती है।

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प्रकाशित

2024-06-25

कैसे उद्धृत करें

हरे कृष्ण, अरविंद कुमार सिंह, नृपेन्द्र विक्रम सिंह, मंजूनाथ टी. गौड़ा, & शुभम कुमार तिवारी. (2024). मई-जून में बागों के कार्यकलाप. फल फूल, 45(3), 37-43. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/1187