करौंदा का प्रसंस्करण और पोषक महत्व

लेखक

  • जी. के. राणा ज.ने.कृ.वि.वि. कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी, मध्यप्रदेश
  • एन. के. सिंह ज.ने.कृ.वि.वि. कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी, मध्यप्रदेश
  • के. के. देशमुख ज.ने.कृ.वि.वि. कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी, मध्यप्रदेश
  • शरद बिसेन ज.ने.कृ.वि.वि. कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी, मध्यप्रदेश
  • डी के पंचेश्वर ज.ने.कृ.वि.वि. कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी, मध्यप्रदेश

सार

करौंदा (कैरिसा कैरन्डास) के वृक्ष झाड़ीदार व फूल सफेद होते हैं इसके फल सख्त, हरे से बैंगनी-लाल चिकने और चमकदार होते हैं। पकने पर रंग गहरा-बैंगनी या काला हो जाता है। अपरिपक्व फल बहुत खट्टे होते हैं लेकिन जब पके हों तब खट्टे मीठे होते हैं। करौंदे वर्षा ट्टतु में तो आसानी से प्राप्त हो जाते हैं लेकिन अन्य दो ऋतुओं (सर्दी व गर्मी) में नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में इनको परिरक्षित या मूल्य संवर्धित कर इनका जायका एवं पोषक लाभ लिया जा सकता है। फलों को कैंडीज, जेली, स्क्वैश और चटनी जैसे उत्पाद बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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प्रकाशित

2023-07-05

कैसे उद्धृत करें

राणा ज. क., सिंह ए. क., देशमुख क. क., बिसेन श., & पंचेश्वर ड. क. (2023). करौंदा का प्रसंस्करण और पोषक महत्व. फल फूल, 44(4), 15-16. https://epatrika.icar.org.in/index.php/phalphool/article/view/487