कृषि आधारित उद्यमशीलता द्वारा स्वावलम्बन

लेखक

  • सीमा यादव भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
  • एस.के. सिंह भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
  • राघवेंद्र सिंह भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
  • एस.के. दुबे भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
  • निमिषा अवस्थी भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
  • विस्टर जोशी भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
  • स्वाती दीपक दुबे भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर (उत्तर प्रदेश)

सार

कृषि क्षेत्रा का वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय आय में सकल योगदान 18 प्रतिशत है। यह क्षेत्रा समाज के संख्यात्मक रूप से बड़े और कमजोर वर्ग को प्रत्यक्ष रोजगार एवं आय प्रदान करता है। कृषि क्षेत्रा में उत्पादन और लाभप्रदता में सुधार के लिए कृषि उद्यमिता न केवल एक अवसर है, बल्कि एक आवश्यकता भी है। कृषि आधारित उद्यमिता भारत में टिकाऊ आर्थिक विकास हासिल करने में भी मदद करती है। प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, पर्यावरण-अनुकूल कृषि आदि टिकाऊ कृषि में कृषि उद्यमिता हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालक हैं और ग्रामीण भारत का परिवेश बदलने की क्षमता रखते हैं। अतः विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने, गरीबी को दूर करने, लोगों के जीवन स्तर को उठाने और कृषि एवं पशुपालन को अत्यधिक लाभकारी बनाने के लिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में उद्यमिता एक अच्छा उपाय सिद्ध हो सकती है।

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प्रकाशित

2024-04-09

कैसे उद्धृत करें

सीमा यादव, एस.के. सिंह, राघवेंद्र सिंह, एस.के. दुबे, निमिषा अवस्थी, विस्टर जोशी, & स्वाती दीपक दुबे. (2024). कृषि आधारित उद्यमशीलता द्वारा स्वावलम्बन. खेती, 76(11), 54-57. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1023