नमक-सहिष्णु पौधों का कृषि में उपयोग

लेखक

  • आनंद कुमार नाओरेम भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क क्षेत्रा अनुसंधान संस्थान, जोधपुर (राजस्थान)
  • अभिषेक पटेल भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क क्षेत्रा अनुसंधान संस्थान, क्षेत्राीय अनुसंधान संस्थान, भुज (गुजरात)

सार

कच्छ क्षेत्रा, गुजरात राज्य का हिस्सा है। यह क्षेत्रा अपनी विशेष जलवायु और अद्वितीय भूमि की वजह से कृषि में चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस क्षेत्रा की जमीन में अध्कि लवणता के कारण पारंपरिक पफसलों को संघर्ष करना पड़ता है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी होता है। इस लेख में नमक-सहिष्णु पौधों के शुष्क क्षेत्रा में महत्व के साथ-साथ इनकी विशेषताएं, प्रकार और कृषि में इनके उपयोग को प्रस्तुत किया गया है। लवण-सहिष्णुता, मृदा सुधार, पौधों की विविध प्रजातियां, सूखा प्रतिरोधक क्षमता, टिकाऊ खेती, आर्थिक व्यवहार्यता और पर्यावरण प्रबंधन के साथ, नमक-सहिष्णु पौधों की खेती कच्छ के किसानों के लिए एक अमूल्य संसाधन साबित हो सकती है। इनकी खेती, यहां की कृषि प्रणाली को सुदृढ़ और सुरक्षित बनाने में मदद कर सकती है। यह स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक और पर्यावरणीय सुधार लाने में अहम् भूमिका निभा सकती है।

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प्रकाशित

2024-06-19

कैसे उद्धृत करें

आनंद कुमार नाओरेम, & अभिषेक पटेल. (2024). नमक-सहिष्णु पौधों का कृषि में उपयोग. खेती, 76(12), 10-11. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1111