जौ की उत्कृष्ट किस्म डीडब्ल्यूआरबी-219

लेखक

  • लोकेन्द्र कुमार भाकृआनपु -भारतीय गेंहूं एवं जौ अनुसन्धान सस्ंथान, करनाल (हरियाणा)
  • ओमवीर सिंह भाकृआनपु -भारतीय गेंहूं एवं जौ अनुसन्धान सस्ंथान, करनाल (हरियाणा)
  • मंगल सिंह भाकृआनपु -भारतीय गेंहूं एवं जौ अनुसन्धान सस्ंथान, करनाल (हरियाणा)
  • जोगेन्द्र सिंह भाकृआनपु -भारतीय गेंहूं एवं जौ अनुसन्धान सस्ंथान, करनाल (हरियाणा)
  • रेखा मलिक भाकृआनपु -भारतीय गेंहूं एवं जौ अनुसन्धान सस्ंथान, करनाल (हरियाणा)

सार

जौ, देश के उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रांे की एक महत्वपूर्ण रबी पफसल है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश मंे इसका 6.20 लाख हैक्टर भूमि पर 2733 कि.ग्रा./हैक्टर उत्पादकता के साथ लगभग 16.9 लाख टन उत्पादन किया गया। वैज्ञानिक शोध के आधार पर जौ को एक औषधीय अन्न के रूप मंे कापफी उपयोगी माना जाता है। देश मंे जौ का प्रयोग माल्ट बनाने के लिए सदियों से होता आ रहा है। सरकार की उदार आर्थिक नीतियों के कारण अनेक ब्रुअरीज का देश में आगमन हुआ। इसके कारण माल्ट की मांग मंे निरन्तर वृ(ि हो रही है। देश में वर्तमान में जौ उत्पादन का लगभग 30 प्रतिशत भाग माल्ट बनाने मंे प्रयोग किया जा रहा है। इस समय जौ की प्रतिवर्ष औद्योगिक आवश्यकता लगभग पांच लाख मीट्रिक टन है। इसमें लगभग 10 प्रतिशत की दर से वार्षिक वृ(ि होने का अनुमान है। इसके अतिरिक्त प्राचीनकाल से जौ का उपयोग मानव के खाद्य पदार्थों ;आटा, दलिया, सूजी, सत्तू व पेय पदार्थद्ध व पशु आहार के रूप में किया जाता है। इसके अर्क व सीरप का प्रयोग व्यावसायिक रूप से तैयार किए गए खाद्य एवं मादक पेय पदार्थांे मंे स्वाद, रंग या मिठास जोड़ने के लिए किया जाता है।

##plugins.themes.default.displayStats.downloads##

##plugins.themes.default.displayStats.noStats##

##submission.downloads##

प्रकाशित

2024-06-19

कैसे उद्धृत करें

लोकेन्द्र कुमार, ओमवीर सिंह, मंगल सिंह, जोगेन्द्र सिंह, & रेखा मलिक. (2024). जौ की उत्कृष्ट किस्म डीडब्ल्यूआरबी-219. खेती, 76(12), 14-15. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1112