एग्री-वोल्टिक प्रणाली

लेखक

  • बलवीर सिंह मीणा भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान-भोपाल
  • संदीप गांगिल भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान-भोपाल

सार

एग्री-वोल्टिक प्रणाली को कृषि-वोल्टीय प्रणाली या ‘सौर-खेती’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान अपने खेतों में पफसल (विशेष तौर पर नकदी फसल) के उत्पादन के साथ-साथ बिजली का भी उत्पादन करते हैं। फोटो-वोल्टिक तकनीक (PV) के तहत एक कृषि योग्य भूमि (एकल-भू-उपयोग तंत्रा) में बिजली उत्पादन के लिए फसल उत्पादन के साथ-साथ सौर-ऊर्जा पैनल स्थापित किये जाते हैं। इस तकनीक को पहली बार वर्ष 1981 में एडाॅल्पफ गोएट्जबर्गर और आर्मिन जास्ट्रो ने पेश किया था। वर्ष 2004 में जापान में इस तकनीक का प्रोटोटाइप बनाया गया और कई परीक्षणों व सुधार के बाद, वर्ष 2022 की शुरुआत में, पूर्वी अप्रफीका में पहला एग्रीवोल्टिक्स लांच किया गया।

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प्रकाशित

2024-06-19

कैसे उद्धृत करें

बलवीर सिंह मीणा, & संदीप गांगिल. (2024). एग्री-वोल्टिक प्रणाली. खेती, 76(12), 12-13. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1114