मोरिंगा का कुक्कुटपालन में महत्व

लेखक

  • हितेश मुवाल शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान केंद्र
  • लोकेश गुप्ता डेरी आरै खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि आरै प्रद्योगिकी विश्वविद्यालय
  • एच.एल. बुगालिया राजस्थान कृषि महाविद्यालय, भीलवाड़ा (राजस्थान)
  • विनोद भटेश्वर श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर, जयपुर (राजस्थान)

सार

देश में पोल्ट्री उत्पादन ज्यादातर सीमांत और छोटे किसानों द्वारा किया जाता है। ग्रामीण स्तर पर जैविक पोल्ट्री उत्पादन के साथ-साथ आय बढ़ाने के अवसर देने पर जोर दिया जा रहा है। देश में कुल पोल्ट्री संख्या वर्ष 2019 में 851.81 मिलियन थी। वर्तमान समय में इसमें 16.8 प्रतिशत की बृद्धि दर्ज की गई है। देश में बैकयार्ड पोल्ट्री में कुल पक्षियों की संख्या 317.7 मिलियन है। पिछली गणना की तुलना में बैकयार्ड पोल्ट्री में लगभग 46 प्रतिशत की बृद्धि हुई है। वर्ष 2019 में देश में कुल व्यावसायिक कुक्कुट 534.74 मिलियन थी। यह पिछली गणना की तुलना में 4.5 प्रतिशत अधिक है। देश, विभिन्न प्रकार के पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात कर रहा है। भारत का अंडा उत्पादन में तीसरा और मांस उत्पादन में चैथा स्थान है। वहीं प्रति व्यक्ति अंडे और मांस की उपलब्धता बहुत कम है। आईसीएमआर के अनुसार, देश में प्रति व्यक्ति अंडे की उपलब्धता 180 अंडे़ और मांस की उपलब्धता 10 कि.ग्रा. होनी चाहिए। देश में प्रति व्यक्ति केवल 79 अंडे और 2.96 कि.ग्रा. मांस ही उपलब्ध है।

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प्रकाशित

2024-06-19

कैसे उद्धृत करें

हितेश मुवाल, लोकेश गुप्ता, एच.एल. बुगालिया, & विनोद भटेश्वर. (2024). मोरिंगा का कुक्कुटपालन में महत्व. खेती, 76(12), 21-24. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1117