अजोला की खेती
सार
अजोला एक महत्वपूर्ण बहुगुणी पफर्न है। इसका उपयोग पशुओं, मछली एवं कुक्कुट के चारे के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी उपज लागत भी बहुत कम (एक रुपया प्रति कि.ग्रा.) होती है। यह तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार की जलीय पफर्न है, जो पानी की सतह पर छोटे-छोटे समूह में सघन हरित गुच्छ की तरह तैरती रहती है। भारत में मुख्य रूप से अजोला की प्रजाति अजोला पिन्नाटा पायी जाती है। यह गर्मी सहन करने वाली किस्म है। इनकी पंखुड़ियों में एनाबिना नामक नील हरित काई के प्रजाति का एक सूक्ष्मजीव होता है, जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है। हरे खाद की तरह यह पफसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है।
##plugins.themes.default.displayStats.downloads##
##submission.downloads##
प्रकाशित
अंक
खंड
अनुज्ञप्ति
Copyright (c) 2024 खेती
यह काम Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License के तहत लाइसेंस प्राप्त है.
खेती में प्रकाशित लेखों का कॉपीराइट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पास निहित है, जिसे भारत या विदेश में किसी भी संगठन के साथ किसी भी समझौते में प्रवेश करने का अधिकार है, जो रिप्रोग्राफी, फोटोकॉपी, भंडारण और सूचना के प्रसार में शामिल है। इन पत्रिकाओं में सामग्री का उपयोग करने में परिषद को कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते जानकारी का उपयोग अकादमिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो, लेकिन व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं। आईसीएआर को देय क्रेडिट लाइन दी जानी चाहिए जहां सूचना का उपयोग किया जाएगा।