कपास में अंतःफसल से खरपतवार नियंत्रण

लेखक

  • डी. ब्लेज केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान नागपुर (महाराष्ट्र)
  • ए. मानिकंदन केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान नागपुर (महाराष्ट्र)
  • रोहित कटियार केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान नागपुर (महाराष्ट्र)
  • आर.एम. रामटेके केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान नागपुर (महाराष्ट्र)

सार

भारत में कपास सबसे महत्वपूर्ण नकदी पफसलों में एक है। यह फसल कृषि अर्थव्यवस्था के साथ-साथ औद्योगिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। देश में कपास, 60 लाख किसानों को प्रत्यक्ष आजीविका प्रदान करती है और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 6-7 करोड़ लोगों को रोजगार देती है। इतने महत्व के बावजूद कपास में खरपतवार नियंत्राण एक कठिन समस्या है। कपास की प्रारंभिक फसल बृद्धि धीमी होने के कारण इसमें खरपतवार का नियंत्राण और प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। कुछ हानिकारक व आक्रामक खरपतवार जैसे-बैंगनी नटसेज और स्मूथ जोयवीड को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। इन स्थितियों के संदर्भ में भारतीय उपमहाद्वीप के छोटे और गरीब किसानों को प्रभावी एकीकृत खरपतवार प्रबंधन रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता है।

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प्रकाशित

2024-06-19

कैसे उद्धृत करें

डी. ब्लेज, ए. मानिकंदन, रोहित कटियार, & आर.एम. रामटेके. (2024). कपास में अंतःफसल से खरपतवार नियंत्रण. खेती, 76(12), 31-33. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1121