धान पुआल का आधुनिक प्रबंधन

लेखक

  • मनीष कुमार भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल-462038 (मध्य प्रदेश)
  • हर्षा वाकुडकर भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल-462038 (मध्य प्रदेश)
  • संदीप गांगिल भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल-462038 (मध्य प्रदेश)

सार

वर्तमान में देश में धान पुआल (पराली) का प्रबंधन किसानों के लिए एक जटिल समस्या बन चुका है। धान-गेहूं फसलचक्र में धान की कटाई के उपरांत गेहूं की बुआई के लिए भूमि को तैयार करने हेतु काफी कम समय होता है। धान पुआल के प्रबंधन में काफी जटिलता एवं समय लगने के कारण किसान आमतौर पर इसे खेत में ही जला देते हैं। इससे वायु प्रदूषित होती है। यह अध्ययन धान के पुआल के वैकल्पिक प्रबंधन के उपाय पर केंद्रित है। इस लेख में बेहतर कृषि संरक्षण और सतत कृषि विकास के लिए इन-सीटू (खेत के अंदर) प्रबंधन और एक्स-सीटू (खेत से बाहर) प्रबंधन के आधुनिक उपायों पर प्रकाश डाला गया है। पफसल अवशेषों का इन-सीटू प्रबंधन ऊर्जा, समय और लागत के मद्देनजर अधिक लाभप्रद है। इसके दूसरी ओर पर्यावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन की मात्रा को कम करने के लिए एक्स-सीटू प्रबंधन तकनीक कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का एक प्रमुख वैकल्पिक ईंधन हो सकता है। कृषि में फसल अवशेषों के महत्व को पहचानने के लिए कृषक समुदाय का जागरूक होना एवं आधुनिक कृषि यंत्रों से परिचित होना अत्यंत आवश्यक है।

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प्रकाशित

2024-06-19

कैसे उद्धृत करें

मनीष कुमार, हर्षा वाकुडकर, & संदीप गांगिल. (2024). धान पुआल का आधुनिक प्रबंधन. खेती, 76(12), 36-37. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1123