गाजरघास का जैविक नियंत्रण

लेखक

  • राजमोहन शर्मा कृषि महाविद्यालय,जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)
  • मुजाहिदा सैयद कृषि महाविद्यालय,जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)
  • अपर्णा शर्मा कृषि महाविद्यालय,जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)
  • राज किशोर भटनागर कृषि महाविद्यालय,जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)

सार

कृषि मित्रा कीट, मैक्सिकन बीटल (जाइगोग्रामा बाइकोलोराटा) का कृषि महाविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) में गाजरघास के जैविक नियंत्राण के लिए सफल प्रयोग किया गया। कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा प्रभावित स्थानों पर पहले मैक्सिकन बीटल को छोड़ा गया था। वैज्ञानिकों ने पाया कि इन स्थानों पर कीट ने एक माह के अंदर गाजरघास को खाकर खत्म कर दिया। यह कीट फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाता है। भारत में इस कीट द्वारा जैवकीय नियंत्राण की अपार संभावनाएं हैं। किसान गाजरघास द्वारा पफसलों की हो रही हानि के प्रति सजग हैं। वे अपने क्षेत्रों में इस मैक्सिकन बीटल को छोड़ रहे हैं, ताकि गाजरघास को नष्ट किया जा सके। कुछ वनस्पतियां जैसे-चकोड़ा, जंगली चैलाई आदि गाजरघास से प्रतिस्पर्धा कर इसे वर्षा ऋतू में कम कर सकती हैं। चकोड़ा से भी गाजरघास को नियंत्राण करने में अच्छी सफलता मिली है। किंतु इस कीट द्वारा जैवकीय नियंत्राण काफी सस्ता एवं आसान हो जाता है। सघन कृषि प्रणाली के चलते रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग करने से मृदा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कई बार समय पर रासायनिक उर्वरक नहीं मिल पाते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए गाजरघास को फूल आने से पूर्व जड़ से उखाड़कर इसका उपयोग कम्पोस्ट खाद बनाने में भी
किया जा सकता है।

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प्रकाशित

2024-06-19

कैसे उद्धृत करें

राजमोहन शर्मा, मुजाहिदा सैयद, अपर्णा शर्मा, & राज किशोर भटनागर. (2024). गाजरघास का जैविक नियंत्रण. खेती, 76(12), 39-41. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1125