ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई
सार
आधुनिक कृषि की उन्नत तकनीकों में गर्मी की गहरी जुताई का महत्वपूर्ण स्थान है। रबी फसलों जैसे-गेहूं, मक्का, दलहन व तिलहन की कटाई लगभग 20-30 अप्रैल तक समाप्त हो जाती है। इन फसलों की कटाई के उपरान्त मृदा में जो नमी बची रहती है, उसका उपयोग करते हुए मिट्टी पलटने वाले सामान्य हल या तांबेदार हल द्वारा की जाती है। इससे 20 सें.मी. गहराई तक जुताई हो जाती है। इस प्रकार गहरी जुताई करके खेत की मिट्टी को तेज धूप में सुखाने की प्रक्रिया को गर्मी की गहरी जुताई की संज्ञा दी जाती है। मृदा में सघनता के कारण, जो वायु एवं जल की पतली नलियां दब जाती हैं, उन्हें पिफर मूल स्थिति में आने का मौका मिल जाता है। मृदा दबावमुक्त हो जाती है और उसमें पौधों की वृद्धि एवं विकास से संबंधित भूमि की संरचना उत्तम भौतिक अवस्था में आ जाती है।
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