कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता

लेखक

  • पूनम जयंत सिंह भाकृअनपु-राष्ट्रीय मत्स्य अनुवंशी संसाधन ब्यूरो नहर रिंग रोड़, पीओ दिलकुशा, लखनऊ-226002
  • अभिजीत श्रीवास्तव भाकृअनपु-राष्ट्रीय मत्स्य अनुवंशी संसाधन ब्यूरो नहर रिंग रोड़, पीओ दिलकुशा, लखनऊ-226002

सार

कृत्रिम बुद्धिमत्ता या ए.आई. विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जो अत्यधिक उन्नति की ओर अग्रसर हो चली है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिपफीशियल इंटेलिजेंस) की शुरूआत वर्ष 1950 में हुई थी। जाॅन मैकार्थी को आर्टिपफीशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) का जनक माना जाता है। जाॅन मैकार्थी ने ही पहली बार आर्टिपफीशियल इंटेलिजेंस शब्द की रचना की थी। यह कंप्यूटर साॅफ्रटवेयर का एक ऐसा रूप है, जिसमें किसी भी कंप्यूटर को मनुष्य की तरह सोचने एवं निर्णय लेने में सक्षम बनाया जाता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ए.आई. अगले कुछ दशकों में मानव-स्तरीय बुद्धिमत्ता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ेगा। यह नौकरियों और नैतिकता के बारे में चिंताएं भी बढ़ाता है। अगर इसे जिम्मेदारी से विकसित किया जाए, तो ए.आई. में मानवता की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटने की क्षमता भी है। संक्षेप में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके विकास के साथ ही प्रत्येक उद्योग के बदलने की संभावनाएं हैं। इसके अलावा यह सुनिश्चित करना कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास और उपयोग नैतिक एवं जिम्मेदारी से किया जाए, एक सतत चुनौती बनी रहेगी।

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प्रकाशित

2024-06-25

अंक

खंड

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कैसे उद्धृत करें

पूनम जयंत सिंह, & अभिजीत श्रीवास्तव. (2024). कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता. खेती, 77(2), 27-28. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/1197