मानसून की अनिश्चितता में आकस्मिक योजना

लेखक

  • आदित्य कुमार सिंह क्षेत्राीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, भरारी, झांसी (उत्तर प्रदेश)
  • नरेन्द्र सिंह बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा (उत्तर प्रदेश)
  • एच.एस. कुशवाहा महात्मा गांधी चित्राकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्राकूट, सतना (मध्य प्रदेश)

सार

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्रा में लंबी अवधि के वर्षा आंकड़ों के विश्लेषण से यह तथ्य सामने आया है कि प्रत्येक तीन वर्ष में से किसी एक वर्ष औसत वर्षा 75 प्रतिशत या इससे भी कम होने की आशंका रहती है। इसके पफलस्वरूप असामान्य मानसून की परिस्थितियों में पफसलों की उत्पादकता प्रभावित होती है। प्रदेश को कृषि जलवायु के आधार पर कुल 9 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।

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प्रकाशित

2023-06-27

अंक

खंड

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कैसे उद्धृत करें

सिंह आ. क., सिंह न., & कुशवाहा ए. (2023). मानसून की अनिश्चितता में आकस्मिक योजना. खेती, 76(2), 4-5. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/426