लघु वनोपज से समृद्धि

लेखक

  • निर्झरणी नंदेहा भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल (मध्य प्रदेश)
  • आयुषी त्रिवेदी भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल (मध्य प्रदेश)

सार

लघु वनोपज के जैसे ईंधन की लकड़ी, चारा, लाख, पफाइबर, दवाएं, सब्जियां, कंद, जड़ें, पत्ते, फल, मांस, आवास सामग्री, आदि जनजातीय लोगों के लिए दिन-प्रतिदिन की आजीविका के अभिन्न अंग हैं। छत्तीसगढ़ में घने जंगल हैं और ये लघु वनोपज में समृद्धि हैं। ये काफी बड़े स्तर पर राजस्व आय में योगदान दे रहे हैं। राज्य में उपलब्ध महत्वपूर्ण लघु वनोपज जैसे-चिरौंजी, अमचूर, करंजी, मरोरफली, आम गिरी, इमली, कोसा कोकून, पेंग बीज, कोरकोटी बीज, निर्मली बीज, अंबाड़ी, आंवला, चरोटा बीज, चिरायता, महुआ, तोरा, हर्रा, बांस, बोड़ा, मशरूम, धवई फूल, भेलवा बीज, वर्ष बीज, माहुल ;बीज, पत्ती, रस्सीद्ध, थिकुर, विभिन्न प्रकार के कंद और औषधीय पौधे आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।

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प्रकाशित

2023-06-27

अंक

खंड

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कैसे उद्धृत करें

नंदेहा न., & त्रिवेदी आ. (2023). लघु वनोपज से समृद्धि. खेती, 76(2), 12-14. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/429