जौ का व्यावसायिक महत्व

लेखक

  • अनुज कुमार भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)
  • मंगल सिंह भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)
  • सत्यवीर सिंह भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)
  • ओमवीर सिंह भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)
  • रणधीर सिंह भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)

सार

भारत में जौ एक महत्वपूर्ण अनाज की फसल है। उत्पादन की दृष्टि से अनाज पफसलें जैसे-धान, गेहूं एवं मक्का के बाद जौ की फसल का चैथा स्थान है। भारत जैसे विकासशील देश में, पारम्परिक रूप से जौ का उपयोग मानव के लिए खाद्य पदार्थों (आटा, दलिया, सूजी, फ्रलेक्स, बिस्कुट, शीतल पेय पदार्थ व अन्य स्वादिष्ट व्यंजन), पशु आहार एवं इसके अर्क का प्रयोग व्यावसायिक रूप से तैयार किए गए खाद्य एवं मादक पेय पदार्थों में स्वाद, रंग या मिठास जोड़ने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर जौ को औषधि के रूप में भी काफी उपयोगी माना जाता है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए प्रसंस्करण पर नए सिरे से सोचने पर विवश कर दिया है। इसमें पाए जाने वाले अनेक गुणों के कारण जौ को ‘अनाजों का राजा’ भी कहा जाता है। यह विटामिन, लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, सेलेनियम, जिंक, काॅपर, प्रोटीन, आहार रेशा एवं एंटीआॅक्सीडेंट का एक समृद्धि स्रोत है। इन्हीं
स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण इसे कार्यात्मक भोजन माना गया है।

Downloads

##plugins.themes.default.displayStats.noStats##

##submission.downloads##

प्रकाशित

2023-06-27

अंक

खंड

Articles

कैसे उद्धृत करें

कुमार अ., सिंह म., सिंह स., सिंह ओ., & सिंह र. (2023). जौ का व्यावसायिक महत्व. खेती, 76(2), 15-16. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/430