जौ का व्यावसायिक महत्व
सार
भारत में जौ एक महत्वपूर्ण अनाज की फसल है। उत्पादन की दृष्टि से अनाज पफसलें जैसे-धान, गेहूं एवं मक्का के बाद जौ की फसल का चैथा स्थान है। भारत जैसे विकासशील देश में, पारम्परिक रूप से जौ का उपयोग मानव के लिए खाद्य पदार्थों (आटा, दलिया, सूजी, फ्रलेक्स, बिस्कुट, शीतल पेय पदार्थ व अन्य स्वादिष्ट व्यंजन), पशु आहार एवं इसके अर्क का प्रयोग व्यावसायिक रूप से तैयार किए गए खाद्य एवं मादक पेय पदार्थों में स्वाद, रंग या मिठास जोड़ने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर जौ को औषधि के रूप में भी काफी उपयोगी माना जाता है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए प्रसंस्करण पर नए सिरे से सोचने पर विवश कर दिया है। इसमें पाए जाने वाले अनेक गुणों के कारण जौ को ‘अनाजों का राजा’ भी कहा जाता है। यह विटामिन, लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, सेलेनियम, जिंक, काॅपर, प्रोटीन, आहार रेशा एवं एंटीआॅक्सीडेंट का एक समृद्धि स्रोत है। इन्हीं
स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण इसे कार्यात्मक भोजन माना गया है।
Downloads
##submission.downloads##
प्रकाशित
अंक
खंड
अनुज्ञप्ति
Copyright (c) 2023 खेती
यह काम Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License के तहत लाइसेंस प्राप्त है.
खेती में प्रकाशित लेखों का कॉपीराइट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पास निहित है, जिसे भारत या विदेश में किसी भी संगठन के साथ किसी भी समझौते में प्रवेश करने का अधिकार है, जो रिप्रोग्राफी, फोटोकॉपी, भंडारण और सूचना के प्रसार में शामिल है। इन पत्रिकाओं में सामग्री का उपयोग करने में परिषद को कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते जानकारी का उपयोग अकादमिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो, लेकिन व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं। आईसीएआर को देय क्रेडिट लाइन दी जानी चाहिए जहां सूचना का उपयोग किया जाएगा।