गन्ने के रस चूसक का प्रबंधन

Authors

  • अनिल कुमार ईंख अनुसंधान संस्थान, डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर)-848125
  • विश्वजीत डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर)-848125
  • नवनीत कुमार डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर)-848125
  • ललिता राणा डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर)-848125
  • ए.के. सिंह डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर)-848125

Abstract

वर्तमान परिदृश्य में जलवायु परिवर्तन एक बड़ा विषय है। यह विभिन्न प्रकार से मानव को प्रभावित कर रहा है और कृषि भी कोई अपवाद नहीं है। वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि और वर्षा में अनियमितता कृषि उत्पादन को मुख्य रूप से प्रभावित करते हैं। चिंता का विषय यह है कि इस बदलाव से कीट और भी आक्रामक हो गये हैं, जो गन्ने के मुख्य कीट थे अब उनका प्रभाव कम हो रहा है। जिनका प्रभाव कम था वे मुख्य कीट हो रहे हैं। खासकर, रसचूसक कीट का प्रभाव अत्यधिक बढ़ रहा है। इस लेख का उद्देश्य किसानों को गन्ने के रस चूसक कीट से अवगत करवाना और उनके प्रबंधन पर प्रकाश डालना है। इनमें ऐसे कीट भी हैं, जो कुछ दशक पूर्व मामूली कीट होते थे और अब वे विनाशकारी हो गए हैं। इतना ही नहीं कुछ मामलों में वे फसल को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त कर देते हैं। नकदी पफसल होने के कारण गन्ने का कृषि अर्थव्यवस्था में विशेष स्थान है।

Downloads

Download data is not yet available.

Downloads

Published

2023-06-27

How to Cite

कुमार अ., विश्वजीत, कुमार न., राणा ल., & सिंह ए. (2023). गन्ने के रस चूसक का प्रबंधन. खेती, 76(2), 17-18. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/431