समेकित कृषि प्रणाली माॅडल

लेखक

  • जगदीश प्रसाद तेतरवाल कृषि विश्वविद्यालय कोटा, कोटा (राजस्थान)
  • बलदेव राम कृषि विश्वविद्यालय कोटा, कोटा (राजस्थान)
  • अंजू बिजारणिया कृषि विश्वविद्यालय कोटा, कोटा (राजस्थान)
  • राजेश कुमार कृषि विश्वविद्यालय कोटा, कोटा (राजस्थान)

सार

भारत में लगभग 85 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते हैं। कृषि जोत का आकार लगातार छोटा होता जा रहा है। देश में ज्यादातर किसान मुख्यतः फसल आधारित एकल फसल प्रणाली पर निर्भर हैं। अतः लगातार एकल फसल प्रणाली अपनाने के कारण, मृदा उर्वरता एवं उत्पादकता में गिरावट, कारक उत्पादकता में कमी, असंतुलित खाद्य आहार से पोषण की समस्या, कृषि बेरोजगारी का बढ़ना, मृदा स्वास्थ्य का ”ह्रास, पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि और कीट-रोगों की बढ़ती समस्या के साथ-साथ फसल उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है। अतः वर्तमान परिवेश में लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए टिकाऊ कृषि प्रबंधन के लिए समेकित कृषि प्रणाली माॅडल आज की आवश्यकता बनता जा रहा है।

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प्रकाशित

2023-06-27

अंक

खंड

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कैसे उद्धृत करें

तेतरवाल ज. प., राम ब., बिजारणिया अ., & कुमार र. (2023). समेकित कृषि प्रणाली माॅडल. खेती, 76(2), 21-23. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/433