मडुआ है किसानों के लिए एक वरदान

लेखक

  • मनीष राज मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बिहार)
  • कुणाल आनंद मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बिहार)
  • सतदेव मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बिहार)
  • सुशांत मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बिहार)

सार

मडुआ को भारत में रागी और नेपाल में कोदो के नाम से जाना जाता है। सामान्यतौर पर इसका उपयोग अनाज के रूप में होता है। यह न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि बहुत पौष्टिक भी होता है। प्रायः मडुआ के आटे को गेहूं के आटे में मिलाकर प्रयोग में लाया जाता है। देशभर में इससे कई तरह के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। भारत में मडुआ अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे-मडुआ, रागी, मकरा, मंडल, स्रोतका (हिंदी), मरुआ (बंगाल), केलवारागू (तमिल), मुत्तरि (मलयालम), रागुलु (तेलुगु), रागी (राजस्थानी), पागली, बावतोनागली (गुजराती), नचीरी, नगली (मराठी) आदि।

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प्रकाशित

2023-06-27

अंक

खंड

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कैसे उद्धृत करें

राज म., आनंद क., सतदेव, & सुशांत. (2023). मडुआ है किसानों के लिए एक वरदान. खेती, 76(2), 37-38. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/440