जलवायु अनुकूल कृषि में धान की सीधी बुआई
सार
पारंपरिक धान की खेती के तरीकों में धान की सीधी बुआई ;डीएसआरद्ध महत्वपूर्ण है। यह जल उत्पादकता बढ़ाने, श्रम कम करने और जलवायु-अनुकूल कृषि में योगदान देने की क्षमता प्रदान करती है। यह अध्ययन इस नवीन दृष्टिकोण की व्यापक समझ को विकसित करने के साथ डीएसआर की क्षमता, निष्पादन और समस्याओं का पता लगाता है। डीएसआर में सिंचाई जल की आवश्यकताओं (30 प्रतिशत तक) तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता निहित है। इस प्रकार यह टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कृषि में योगदान देती है। डीएसआर में पारंपरिक धान रोपाई से जुड़ी मशक्कत को कम करने और पफसल की पैदावार बढ़ाने की क्षमता होती है, जिससे यह किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना हुआ है। डीएसआर का प्रदर्शन आशाजनक है। खरपतवार प्रतिस्पर्धा, असंगत अंकुरण और पोषक तत्व प्रबंधन के मुख्य मुद्दे इसको आसानी से अपनाने में बाधाएं पैदा करते हैं।
Downloads
##submission.downloads##
प्रकाशित
अंक
खंड
अनुज्ञप्ति
Copyright (c) 2024 खेती
यह काम Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License के तहत लाइसेंस प्राप्त है.
खेती में प्रकाशित लेखों का कॉपीराइट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पास निहित है, जिसे भारत या विदेश में किसी भी संगठन के साथ किसी भी समझौते में प्रवेश करने का अधिकार है, जो रिप्रोग्राफी, फोटोकॉपी, भंडारण और सूचना के प्रसार में शामिल है। इन पत्रिकाओं में सामग्री का उपयोग करने में परिषद को कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते जानकारी का उपयोग अकादमिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो, लेकिन व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं। आईसीएआर को देय क्रेडिट लाइन दी जानी चाहिए जहां सूचना का उपयोग किया जाएगा।