जलवायु अनुकूल कृषि में धान की सीधी बुआई

लेखक

  • रचना दुबे भाकृअनुप का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना (बिहार)
  • गोविंद मकराना भाकृअनुप का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना (बिहार)
  • अनिर्बान मुखर्जी भाकृअनुप का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना (बिहार)
  • अनूप दास भाकृअनुप का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना (बिहार)

सार

पारंपरिक धान की खेती के तरीकों में धान की सीधी बुआई ;डीएसआरद्ध महत्वपूर्ण है। यह जल उत्पादकता बढ़ाने, श्रम कम करने और जलवायु-अनुकूल कृषि में योगदान देने की क्षमता प्रदान करती है। यह अध्ययन इस नवीन दृष्टिकोण की व्यापक समझ को विकसित करने के साथ डीएसआर की क्षमता, निष्पादन और समस्याओं का पता लगाता है। डीएसआर में सिंचाई जल की आवश्यकताओं (30 प्रतिशत तक) तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता निहित है। इस प्रकार यह टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कृषि में योगदान देती है। डीएसआर में पारंपरिक धान रोपाई से जुड़ी मशक्कत को कम करने और पफसल की पैदावार बढ़ाने की क्षमता होती है, जिससे यह किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना हुआ है। डीएसआर का प्रदर्शन आशाजनक है। खरपतवार प्रतिस्पर्धा, असंगत अंकुरण और पोषक तत्व प्रबंधन के मुख्य मुद्दे इसको आसानी से अपनाने में बाधाएं पैदा करते हैं।

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प्रकाशित

2024-03-28

कैसे उद्धृत करें

रचना दुबे, गोविंद मकराना, अनिर्बान मुखर्जी, & अनूप दास. (2024). जलवायु अनुकूल कृषि में धान की सीधी बुआई. खेती, 76(8), 10-12. https://epatrika.icar.org.in/index.php/kheti/article/view/937