वर्षा आधारित खेती में एकीकृत कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र
सार
वर्षा आधारित खेती हमेशा जोखिम भरी होती है। इस खेती में कम वर्षा, हल्की एवं कम उपजाऊ क्षमता वाली मृदा, उन्नत आदान तथा तकनीकियों का अभाव, अद्यतन तकनीकियों के बारे में ज्ञान की कमी एवं कमजोर सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों इत्यादि के कारण बहुत कम उपज प्राप्त होती है। ऐसी स्थिति में उन्नत तकनीकों का प्रयोग कर फसल उत्पादन किया जाए, तो वर्षा आधारित खेती में अधिक पफसल उत्पादन एवं लाभकारी पफसलों को उगाकर ज्यादा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार लघु एवं सीमान्त किसानों की आमदनी को भी आसानी से बढ़ाया जा सकता है। जल एवं मृदा के उचित प्रबंधन, फसल विविधीकरण, कृषिवानिकी और सामुदायिक सहभागिता द्वारा वर्षा आधारित खेती को टिकाऊ बनाया जा सकता है। एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्रा दृष्टिकोण द्वारा नाजुक पारिस्थितिकी तंत्रा को मजबूत बनाकर वर्षा आधारित खेती से कृषि उत्पादकता, आय, सतत उत्पादन और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलता बढ़ाकर वर्षा आधारित खेती को टिकाऊ बनाया जा सकता है।
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